देहरादून। देहरादून स्मार्ट सिटी द्वारा देहरादून में जलापूर्ति प्रणाली को उच्चीकृत करने के लिए स्काडा वाटर एटीएम एवं वितरण प्रणाली ठीक करने का कार्य किया है, इन्ही कार्यों के लिए देहरादून स्मार्ट सिटी ने आज नई दिल्ली में स्कॉच अवार्ड 2024 प्राप्त किया है ।
यह अवार्ड भारत को एक बेहतर राष्ट्र बनाने के लिए अतिरिक्त/अभिनव प्रयास करने वाले संस्थानों, विभागों, व्यक्क्तियों, विशेष परियोजनाओं को दिया जाने वाला देश का विशेष एवं उच्चस्तरीय सम्मान है। वर्ष 2003 में इस प्रकार के अभिनव पहल को सम्मानित-करने की गई थी। इस पुरस्कार में डिजिटल, वित्तीय, और सामाजिक समावेश के क्षेत्र में बेहतरीन कामों को शामिल किया जाता है। स्कॉच अवॉर्ड पाने वाले लोगों में उद्योग जगत के दिग्गज, विद्वान, टेक्नोक्रेट्स, महिला नेता और जमीनी स्तर के कार्यकर्ता शामिल हैं।
देहरादून स्मार्ट सिटी द्वारा देहरादून में जलापूर्ति प्रणाली को उच्चीकृत करने हेतु स्काडा वाटर एटीएम एवं वितरण प्रणाली ठीक करने का कार्य किया है। इन्ही कार्यों हेतु देहरादून स्मार्ट सिटी ने अवार्ड प्राप्त किया है। परियोजना कार्यों के लगभग 12 करोड रुपये बचत माह में होने के साथ-साथ शहर में पानी की आपूर्ति में भी सुधार हुआ है। इसके अतिरिक्त 24 वाटरएटी एम से 16 लाख लोग लाभान्वित हुए हैं।
देहरादून स्मार्ट सिटी लिमिटेड की मुख्य कार्यकारी/जिलाधिकारी देहरादून सोनिया ने कहा कि पेयजल सम्वर्धन परियोजनाओं .में देहरादून स्मार्ट सिटी द्वारा किये गये कार्य जैसे वाटर मीटर, स्कॉडा स्मार्ट वाटर मैनेजमेंट वाटर सप्लाई ऑग्व्यूमेटेंशन आदि परियोजना के द्वारा पानी के उत्पादन, वितरण, उपलब्धता आदि को अत्याधुनिक उपकरणों के माध्यम से उच्चीकरण करने हेतु नवीन प्रणाली अध्यारोपण का कार्य किया गया है। इस स्पर्धा में राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न परीयोजनाओं की समीक्षा के उपरात देहरादून स्मार्ट सिटी के द्वारा वाटर मैनेजमेंट कार्यों में पुरस्कार प्रदान किया गया है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त होने पर ना केवल पूरी टीम को प्रोत्साहन मिलता है बल्कि कार्य को और एक से करने हेतु टीम प्रेरित होती है।
स्मार्ट सिटि की ओर से अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी तीर्थ पाल सिंह एवं एजीएम कृष्ण पल्लव चमोला द्वारा दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में पुरस्कार ग्रहण किया गया।
इन परियोजनाओं के माध्यम से शहर में पेयजल व्यवस्था उपलब्धता के साथ-साथ अपव्ययता को कुशल रूप से प्रबंधित करने हेतु कार्य किये गये हैं। प्रदेश में पहली बार जल उत्पादन में ऊर्जा दक्ष उपकरणों के प्रयोग से पीपीपी मोड से परियोजनाओं का संचालन किया गया है, जिससे ना केवल ऊर्जा बचत हो रही है अपितु सरकार द्वारा ट्यूबवेलों के संचालन एवं अनुक्षण हेतु होने वाले व्यय में भी बचत हो रही है।