बीकेटीसी में सक्रिय “कॉकस” बन रहा सुधार और बदलाव में बाधक
सुधारों की कंटीली डगर में बदलाव का रास्ता निकाल रहे अजेंद्र एक लॉबी के निशाने पर
देहरादून। कई कारणों से चर्चा में आये श्री बद्रीनाथ – केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) में सक्रिय एक “कॉकस” की गतिविधियां सुधार और बदलाव के रास्ते में रोड़े बिछाती नजर आ रही है। समिति में सुधार कार्यों से प्रदेश भर में वाहवाही बटोर रहे समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय अब बदलाव विरोधियों के निशाने पर आ गए है। हालात यह है कि अध्यक्ष के किसी निर्णय के बाद समिति में कोई न कोई नया मुद्दा तूल पकड़ लेता है और इसके लिये दबाव की राजनीति शुरू हो जाती है।
पूर्व में केदारनाथ आपदा घोटाला और प्रदेश में लैंड जिहाद जैसे मुद्दों को उठा कर सुर्खियों में आये अजेंद्र अजय को भाजपा ने उनकी निर्विवाद छवि के कारण बीकेटीसी के अध्यक्ष नियुक्त किया है। अजेंद्र कमान संभालने के बाद अपने फैसलो से चर्चा में है तो वहीं बीकेटीसी भी सुधार की उम्मीद जगी है। इस दौरान कुछ टूटी तो कुछ नई और अच्छी परंपराएं भी बनी है। हालांकि अजेंद्र अजय का कहना है कि वह लीक से हटकर कुछ बेहतर करना चाहते हैं जो कि कुछ लोगों को रास नही आ रहा है। लेकिन वह मजबूती और ईमानदारी से अपने कार्य करते रहेंगे।
कार्यप्रणाली मे बदलाव की नई शुरुआत, ट्रांसफर से हड़कंप
बीकेटीसी में बदलाव विरोधियों को तब करारा झटका लगा जब उन्होंने वर्षो से एक स्थान पर जमे कर्मियों को ट्रांसफर करने शुरू कर दिये। वर्ष 1939 में अंग्रेजों के समय गठित हुई बीकेटीसी में कर्मचारियों व अधिकारियों के ट्रांसफर अपवादस्वरूप ही होते रहे हैं। स्थानांतरण से बीकेटीसी में हड़कंप मच गया था।। कुछ कार्मिकों ने अध्यक्ष द्वारा किये गए ट्रांसफरों को धता बताने की कोशिश भी की, किन्तु अध्यक्ष के सख्त रूख के चलते ऐसा संभव नहीं हो सका। अध्यक्ष ने कार्मिकों की कार्यक्षमता में वृद्धि के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किया। वर्षों से पदोन्नत्ति की मांग कर रहे कार्मिकों मुराद पूरी की और वेतन विसंगति का सामना कर रहे 130 से अधिक कार्मिकों के वेतन में वृद्धि भी इस दौरान हुई।
11 साल से कुंडली जमाये अफसर को भी किया चलता
हर सरकार का चहेता रहा बीकेटीसी का सीओ बीडी सिंह को जब मूल विभाग मे भेजने के आदेश हुए तो उन्होंने समिति से हटते ही स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति ही ले ली थी। अजेंद्र ने बीकेटीसी में पारदर्शिता व भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए भी कई कदम उठाये। मंदिर समिति में वित्तीय पारदर्शिता कायम करने के लिए वित्त अधिकारी का पद सृजित कर शासन से वित्त अधिकारी की नियुक्ति कराई गयी। केदारनाथ धाम में दान चढ़ावे की गिनती के लिए पारदर्शी ग्लास हॉउस निर्मित कराया गया।
सेवा नियमावली तैयार, अवैध नियुक्ति के रास्ते बन्द
अभी तक बीकेटीसी में कार्मिकों की सेवा नियमावली नहीं है। इस कारण कई विसंगतियां पैदा होती रही हैं। बीकेटीसी बोर्ड ने विगत माह बैठक में कार्मिकों की सेवा नियमावली का प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा है, जिस पर शासन स्तर पर तेजी से कार्रवाई चल रही है। अजेंद्र ने सचिवालय की तर्ज पर बीकेटीसी में अलग से सुरक्षा संवर्ग तैयार करने की पहल भी की है। यह प्रस्ताव भी शासन में विचाराधीन है। बीकेटीसी का सुरक्षा संवर्ग गठित होने पर केदारनाथ व बदरीनाथ धाम में मंदिरों की आंतरिक सुरक्षा पूरी तरह से बीकेटीसी के हाथों में रहेगी। बीकेटीसी में अवैध नियुक्तियों पर भी रोक लगी है। अब तक अधिकांश अध्यक्षों के कार्यकाल में बीकेटीसी में बड़ी संख्या में कार्मिकों की अवैध रूप से नियुक्तियां की गयीं। इस कारण बीकेटीसी को 700 से भी अधिक कर्मचारियों का बोझ उठाना पड़ रहा है। आधे कार्मिकों के पास कोई काम तक नहीं है। पहली बार अभी तक एक भी कर्मचारी की अवैध नियुक्ति नहीं हुयी।
केदारनाथ गर्भ गृह के स्वर्ण मंडन की देश भर मे चर्चा
इस अवधि मे मंदिरों के जीर्णोद्वार, विस्तारीकरण व सौंदर्यीकरण की दिशा में भी ठोस पहल हुई है। सबसे चर्चित कार्य केदारनाथ मंदिर के गर्भ गृह को स्वर्ण मंडित किया जाना रहा है। उन्होंने प्रदेश सरकार की अनुमति के बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की देख रेख में यह प्रक्रिया पूर्ण कराई। हालांकि, राजनीतिक कारणों से कुछ लोगों ने इस पर विवाद खड़ा करने की कोशिश की। अजेंद्र ने बाबा केदारनाथ व भगवान मद्महेश्वर की शीतकालीन गद्दी स्थल उखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर के विकास व विस्तारीकरण की महत्वाकांक्षी परियोजना पर भी काम शुरू किया। इस कार्य के लिए स्थानीय जनता द्वारा करीब तीन दशकों से मांग उठायी जाती रही है और पूर्व में कई मुख्यमंत्रियों द्वारा इसका शिलान्यास भी किया गया था।
इशानेश्वर मंदिर निर्माण अहम उपलब्धि
आपदा में ध्वस्त हो चुके केदारनाथ मंदिर के समीप स्थित ईशानेश्वर मंदिर का निर्माण भी अजेंद्र के कार्यकाल की उपलब्धि है। आपदा के 10 वर्षों के पश्चात गत वर्ष इसका निर्माण कार्य शुरू हुआ था। एक वर्ष के भीतर मंदिर का निर्माण कार्य शुरू कर इसकी प्राण प्रतिष्ठा भी कर दी गयी। केदारनाथ धाम में बीकेटीसी कार्मिकों के आवास व कार्यालय भवन इत्यादि के कार्य भी विगत वर्ष ही शुरू हुए हैं। वर्तमान में बीकेटीसी द्वारा गुप्तकाशी स्थित विश्वनाथ परिसर में स्थित भैरव मंदिर निर्माण के साथ-साथ तुंगनाथ मंदिर व त्रियुगीनारायण मंदिर के विकास व सौंदर्यीकरण की योजना पर भी काम किया जा रहा है।
बदलाव और सुधारों के बीच अजेंद्र का अभियान जारी है।बीकेटीसी मे सक्रियहालांकि उनके द्वारा किये जा रहे कार्यों का आम जन मे अच्छा संदेश है। हालांकि उनकी इस मुहिम मे सब कुछ आसान नही हैं। हर निर्णय के बाद उस पर दबाव के लिए राजनीति आम हो गया है। शह मात के इस खेल मे मंदिर समिति मे सुधारों की प्रक्रिया कहाँ तक पहुंचेगी इस पर कहना आसान नही है, लेकिन अजय की पहल को लेकर कुछ उम्मीद अवश्य जगी है।