आस्था

भागवत कथा सिखाती है आदर्श जीवन जीने की कला: आचार्य भट्ट

कथा के अंतिम दिन सुनाई सुदामा चरित्र और परीक्षित मोक्ष की कथा

कोटद्वार। कण्वनगरी कोटद्वार के नजीबाबाद रोड, काशीरामपुर में आयोजित भागवत कथा के अंतिम दिन रविवार को आचार्य देवी प्रसाद भट्ट ने उपस्थित श्रद्धालुओं को भागवत कथा के महत्व और इसके जीवन में भूमिका के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि भागवत कथा केवल धार्मिक आस्था का विषय नहीं है, बल्कि यह आदर्श जीवन जीने की कला सिखाने वाला एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है।

भागवत कथा के अंतिम दिन भक्तों ने सुदामा चरित्र और परीक्षित मोक्ष की कथा का श्रवण किया। कथा वाचक ने श्रद्धा से सजी इस कथा में सुदामा की मित्रता और श्री कृष्ण की अनुकंपा का गहन वर्णन किया।सुदामा की गरीबी और श्री कृष्ण के साथ उनके अनमोल संबंध ने सभी को भावुक कर दिया। आचार्य भट्ट ने बताया कि कैसे सुदामा की भिक्षाटन की यात्रा ने उसे अपने सच्चे मित्र श्री कृष्ण का आशीर्वाद दिलाया। इसके बाद परीक्षित की कथा सुनाई गई, जिसमें उनकी भक्ति और मोक्ष की प्राप्ति का उल्लेख था।

श्रद्धालुओं ने कथा का श्रवण करते हुए भावविभोर होकर श्री कृष्ण की लीला का अनुभव किया।आचार्य ने कथा के माध्यम से भगवान श्रीकृष्ण के जीवन से जुड़े प्रसंगों का उल्लेख करते हुए बताया कि कैसे हम अपने जीवन में सद्गुणों को आत्मसात कर सकते हैं। उन्होंने श्रद्धालुओं को प्रेरित किया कि भागवत कथा को सुनने से हमें न केवल आध्यात्मिक ज्ञान मिलता है, बल्कि यह हमें सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा भी देती है।

कथा के दौरान श्रद्धालुओं ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और भक्ति भाव से कथा का श्रवण किया। आचार्य देवी प्रसाद भट्ट ने कहा कि भागवत कथा के माध्यम से हम अपने भीतर की नकारात्मकता को दूर कर सकते हैं और एक संतुलित एवं सुखमय जीवन जीने की कला को सीख सकते हैं।उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण के लीलाओं और उनके जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि किस प्रकार श्रीकृष्ण ने अपने भक्तों को संकट से उबारा और प्रेम का पाठ सिखाया। कथा में शामिल भक्तों ने भावुक होकर भक्ति गीत गाए और कथा के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त की। आचार्य भट्ट ने बताया कि सत्संग से मन को शांति मिलती है और जीवन में नकारात्मकता का प्रभाव कम होता है। यह आत्मा को जागरूक करने और परमात्मा से जोड़ने का साधन है।भजन गायकों ने अपनी मधुर प्रस्तुति से कथा में माहौल को और भी भक्तिमय बना दिया।मौके पर आचार्य दीपक ध्यानी, कृष्णा गोदियाल, विनोद देवरानी, अंकित धस्माना, प्रदीप जोशी, ललित जुयाल, वृजेंद्र जुयाल आदि मौजूद रहे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button