उत्तरकाशी। उत्तराखण्ड के दयारा बुग्याल में पौराणिक और धार्मिक बटर फेस्टिवल पर्यटकों की उपस्थिति में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस दौरान भगवान सोमेश्वर देवता की डोली की पूजा अर्चना के साथ ग्रामीणों ने प्रकृति के प्रति आभार जताते हुए दूध, मट्ठा और मक्खन की होली खेली. इसके साथ ही ग्रामीणों ने क्षेत्र की सुख, समृद्धि और खुशहाली की कामना की।
बटर फेस्टिवल पर देश विदेश से पहुंचे पर्यटकों ने अनोखे पर्व पर एक दूसरे पर दूध, मक्खन और मट्ठा लगाते हुए जमकर होली खेली।भटवाड़ी ब्लॉक के पंचगई यानी रैथल, क्यार्क, बन्दरणी, नटिन और भटवाडी के ग्रामीणों ने 11 हजार फीट पर 28 वर्ग किमी क्षेत्र में फैले दयारा बुग्याल में बटर फेस्टिवल धूमधाम से मनाया। इस दौरान बड़ी संख्या में टिहरी, उत्तरकाशी, देहरादून आदि जिलों से पहुंचे देशी विदेशी पर्यटकों ने भी बटर फेस्टिवल का लुत्फ उठाया। प्रकृति के आभार जताने के इस पर्व के पीछे धार्मिक मान्यता है कि बुग्यालों में ग्रीष्मकालीन में ग्रामीण अपने पशुओं को ऱखते हैं। इस दौरान बुग्यालों में रहने वाले पशुधन की समृद्धि होती है। ग्रामीण पशुधन की समृद्धि पर यह पर्व मनाते हैं। आज संक्रांति के पर्व पर दयारा बुग्याल में बटर फेस्टिवल में सोमेश्वर देवता की डोली की मौजूदगी में पर्व मनाया गया।
इस दौरान गंगोत्री विधायक सुरेश चौहान ने शामिल होकर ग्रामीणों को पर्व की शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी दयारा बुग्याल के विकास को लेकर काफी चिंतित हैं। दयारा तक रोप-वे से लेकर आधारभूत सुविधाएं जुटाने का कार्य सरकार कर रही है।
डांगरी पर देवता ने नृत्य कर दिया आशीर्वाद
दयारा बुग्याल में आयोजित बटर फेस्टिवल के मौके पर पंचगई पट्टी के ईष्ट देवता सोमेश्वर ने डांगरी यानी लोहे के परसे पर नृत्य कर ग्रामीणों को सुख, समृद्धि और खुशहाली का आशीर्वाद दिया। करीब 50 मीटर तक देवता का पसुवा 100 बार लोहे के नंगे परसे पर चले और क्षेत्र की खुशहाली का आशीर्वाद दिया। इससे पहले देवता ने दयारा बुग्याल उत्सव स्थल पर जुटे ग्रामीणों और पर्यटकों को सुरक्षा के घेरे में लेते हुए सभी भक्तों को आशीर्वाद दिया। गौरतलब है कि सोमेश्वर देवता इंद्र देव इंद्र देव को प्रसन्न करने से जुड़ा है। देवता से सूखा पड़ने पर बारिश और बारिश रोकने की भी मन्नतें ग्रामीण मांगते हैं। दयारा में भी सोमेश्वर देवता के जाने और वापस लौटने तक बारिश न होने पर ग्रामीणों ने देवता का आभार जताया है।