उत्तराखंडदेहरादून

मुख्यमंत्री ने लोक गायक नरेन्द्र सिंह नेगी को उत्तराखण्ड लोक सम्मान से किया सम्मानित

प्रशस्ति पत्र भेंट कर जन्मदिन की शुभकामना दी, नेगी को बताया हिमालय जैसा अडिग व्यक्तित्व

देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को संस्कृति विभाग के प्रेक्षागृह में प्रसिद्धि लोकगायक नरेन्द्र सिंह नेगी के जन्मदिन पर गीत यात्रा के 50 वर्ष कार्यक्रम में उनकी रचनाओं पर ललित मोहन रयाल द्वारा लिखित पुस्तक कल फिर जब सुबह होगी का विमोचन किया। इस अवसर पर उन्होंने नेगी को उत्तराखण्ड लोक सम्मान से सम्मानित कर 2.51 लाख का चेक तथा प्रशस्ति पत्र भेंट किया। मुख्यमंत्री ने पुस्तक के लेखक ललित मोहन रयाल के प्रयासों की सराहना करते हुए पुस्तक को भावी पीढ़ी के लिये संरक्षित करने वाला कार्य बताया।

मुख्यमंत्री ने प्रसिद्ध लोक गायक नरेन्द्र सिंह नेगी को जन्मदिन की बधाई देते हुए उन्हें हिमालय जैसे अडिग व्यक्तित्व वाला देवभूमि का महान सपूत बताया। उन्होंने कहा कि नेगी के गीत हमें अपने परिवेश के साथ पहाड की चुनौतियों से परिचित कराने का कार्य करते हैं। उनके गीतों में प्रकृति, परम्परा, परिवेश, विरह, वियोग व व्यथा का जो मिश्रण है, वह हमें अपनी समृद्ध परम्पराओं एवं लोक संस्कृति से जोड़ने का कार्य करती है। उनके गीत हमारी विरासत की समृद्ध परम्परा को पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ाने का कार्य करेगी तथा युवाओं को प्रेरित करने का कार्य करती रहेगी। मुख्यमंत्री ने नरेन्द्र सिंह नेगी को पहाड़ की आवाज बताते हुये उनके दीर्घायु जीवन की कामना की।

नरेन्द्र सिंह नेगी ने लोक संस्कृति के प्रति मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के लगाव के लिए उनका आभार व्यक्त किया। उन्होंने ललित मोहन रयाल के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने अपनी विद्वता से 101 गीतों की विवेचना 400 पृष्ठों के ग्रंथ के रूप में समाज के समक्ष रखा है। यह उनकी लोक साहित्य एवं संस्कृति के प्रति गहरी समझ का भी प्रतीक है। वे शब्दों के शब्दार्थ को गीत के लेखक से आगे ले गए हैं। इस अवसर पर उन्होंने पहाड़ों से पलायन रोकने पर लिखा अपना प्रसिद्ध गीत ठंडो रे ठंडो गाकर लोगों को अपनी लोक संस्कृति से जुड़ने के लिए मजबूर किया।

इस अवसर पर मुख्य सचिव राधा रतूडी, कुलपति दून विश्वविद्यालय प्रो.सुरेखा डंगवाल, पूर्व पुलिस महानिदेशक अनिल कुमार रतूडी, साहित्यकार नंद किशोर हटवाल, दिनेश सेमवाल, सचिदानंद भारती, गणेश खुकसाल गणी के अलावा बडी संख्या में साहित्यकार एवं लोक संस्कृति से जुडे लोग उपस्थित थे।

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