IAS विनोद कुमार सुमन का केंद्र में संयुक्त सचिव के लिए इम्पैनलमेंट
वर्तमान में सचिव आपदा प्रबन्धन एवं पुनर्वास के साथ ही राज्य संपत्ति, सामान्य प्रशासन तथा प्रोटोकॉल की जिम्मेदारी भी संभाल रहे हैं सुमन

- राज्य गठन के बाद पहले ऐसे IAS अधिकारी हैं (PCS से IAS में पदोन्नत) जिनका केंद्र सरकार के लिए इम्पैनलमेंट हुआ
देहरादून। वर्ष 2007 बैच के IAS अधिकारी सचिव आपदा प्रबन्धन एवं पुनर्वास विनोद कुमार सुमन का केंद्र सरकार में संयुक्त सचिव पद के लिए इम्पैनलमेंट हुआ है। विनोद कुमार सुमन राज्य गठन के बाद पहले ऐसे आईएसएस अधिकारी हैं (पीसीएस से आईएएस में पदोन्नत) जिनका केंद्र सरकार के लिए इम्पैनलमेंट हुआ है।
सुमन वर्तमान में सचिव आपदा प्रबन्धन एवं पुनर्वास के साथ ही राज्य संपत्ति, सामान्य प्रशासन तथा प्रोटोकॉल की जिम्मेदारी भी संभाल रहे हैं। इससे पूर्व उन्होंने सचिव वित्त, प्रभारी सचिव शहरी विकास, सचिव सहकारिता, सचिव कृषि, सचिव पशुपालन के रूप में अपनी सेवाएं दी हैं। वे राज्य गठन के बाद से अब तक शहरी विकास में सबसे लम्बे समय तक निदेशक रहने वाले अधिकारी रहे हैं। वे चमोली, अल्मोड़ा में नैनीताल में डीएम भी रह चुके हैं। उन्होंने राजधानी देहरादून में लम्बे समय तक सिटी मजिस्ट्रेट व अपर जिलाधिकारी का पदभार संभाला था तथा सचिव एमडीडीएम भी रहे।
सरल स्वभाव, ऊर्जावान कार्यशैली तथा आसानी से उपलब्ध रहने वाले आईएएस अधिकारियों में से एक विनोद कुमार सुमन का जन्म उत्तर प्रदेश के भदोही के खांऊ गांव में एक बेहद गरीब किसान परिवार में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव से हुई। पांच भाई और दो बहनों में सबसे बड़े विनोद कुमार सुमन परिवार की जिम्मेदारी में पिता का हाथ भी बंटाते और अपनी पढ़ाई भी जारी रखी। किसी तरह उन्होंने इंटर पास किया पर आगे की पढ़ाई के लिए आर्थिक समस्या खड़ी हो गई।
वे अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए श्रीनगर गढ़वाल पहुंचे। उनके पास खाने तक के लिए पैसे नहीं बचे थे। उन दिनों श्रीनगर में एक सुलभ शौचालय का निर्माण चल रहा था। ठेकेदार से मिन्नत के बाद वह वहां मजूदरी करने लगे। मजदूरी के तौर पर उन्हें 25 रुपये रोज मिलते थे। संघर्ष के दिनों को याद करते हुए सुमन बताते हैं कि करीब एक माह तक उन्होंने एक चादर और बोरे के सहारे मंदिर के बरामदे में रातें बिताई। इस दौरान मजदूरी से मिले पैसों से कुछ भी खा लेते थे।
पढ़ाई का जुनून ऐसा था कि कुछ महीनों बाद उन्होंने श्रीनगर के विश्वविद्यालय में एडमिशन लेने का निश्चय किया। उन्होंने श्रीनगर गढ़वाल विवि में बीए प्रथम वर्ष में प्रवेश ले लिया। उनकी गणित अच्छी थी, इसलिए उन्होंने रात में ट्यूशन पढ़ाने का निश्चय किया। पूरे दिन मजदूरी करते और रात को ट्यूशन पढ़ाते। वर्ष 1992 में फर्स्ट डिविजन से बीए करने के बाद सुमन ने पिता की सलाह पर इलाहाबाद लौटने का निश्चय किया और यहां इलाहाबाद विश्वविद्यालय से प्राचीन इतिहास में एमए किया।
1995 में उन्होंने लोक प्रशासन में डिप्लोमा किया और प्रशासनिक सेवा परीक्षा की तैयारी में जुट गये। इसी बीच उनका महालेखाकार ऑफिस में लेखाकार के पद पर चयन हो गया। उन्होंने तैयारी जारी रखी और 1997 में उनका पीसीएस में चयन हुआ और 1998 बैच मिला। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। राज्य गठन के बाद उन्होंने उत्तराखण्ड कैडर चुना और महत्वपूर्ण पदों पर सेवा देने के बाद उन्हें 2007 आईएएस कैडर मिला।