केदारनाथ उपचुनाव: भाजपा को हराने के लिए इंडिया गठबंधन और सिविल सोसाइटी एकजुट
देहरादून। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा के निर्देश पर इंडिया गठबंधन और सिविल सोसाइटी के संयोजक शीशपाल सिंह बिष्ट ने प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में इंडिया गठबंधन और सिविल सोसाइटी की बैठक बुलाई। बैठक में लिए गए निर्णय पर संयुक्त रूप से बयान जारी कर इंडिया गठबंधन और सिविल सोसाइटी के नेताओं ने कहा कि केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव में इंडिया गठबंधन की सभी पार्टियां और सिविल सोसाइटी, उपचुनाव में भाजपा की हार सुनिश्चित करने के लिए एकजुट हो कर काम करेंगे। इस निर्णय में इंडिया गठबंधन की पार्टियों कांग्रेस, भाकपा, माकपा, भाकपा(माले), सपा और सिविल सोसाइटी के प्रतिनिधियों की संयुक्त उपस्थिति और सहमति रही।
बैठक में मौजूद नेताओं ने कहा कि भाजपा के शासन से पूरे उत्तराखंड की जनता त्रस्त है और केदारनाथ का उपचुनाव भाजपा की विदाई की पटकथा लिखेगा। उत्तराखंड में भाजपा की डबल इंजन सरकार हर मोर्चे पर विफल है और जनता को परेशानी, हताशा और निराशा के अलावा इस सरकार से कुछ भी हासिल नहीं हुआ।
इंडिया गठबंधन और सिविल सोसाइटी के नेताओं ने कहा कि भाजपा की सरकार शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य समेत हर मसले पर पूरी तरह विफल सिद्ध हुई है। उत्तराखंड में भाजपा की सरकार पूरी तरह से भ्रष्टाचारियों की संरक्षक बनी हुई है। महिलाओं की सुरक्षा को गंभीर खतरा राज्य में पैदा हो गया है। आए दिन महिलाओं के विरुद्ध अपराध की घटनाएं सामने आ रही हैं, लेकिन राज्य की भाजपा सरकार इन पर प्रभावी तरीके से अंकुश लगाने का उपाय करने में नाकाम है।
इंडिया गठबंधन के नेताओं ने कहा कि केदारनाथ समेत पूरी केदार घाटी भाजपा शासन में जबरदस्त उपेक्षा का शिकार हुई है। केदारनाथ मंदिर में 228 किलो सोना लगाने का दावा भाजपा सरकार और उसके नेतृत्व वाली मंदिर समिति ने किया। फिर खुलासा हुआ कि सोने की जगह पर पीतल लगा दिया गया।यह दर्शाता है कि भाजपा सिर्फ धर्म की राजनीति करना चाहती है और मौके पर धार्मिक स्थलों पर भी गबन करने में नहीं चूकती है।
बैठक में कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता और इंडिया गठबंधन के संयोजक शीशपाल सिंह बिष्ट, भाकपा की राष्ट्रीय परिषद के सदस्य समर भंडारी, माकपा के राज्य सचिव राजेंद्र सिंह नेगी, भाकपा(माले) के राज्य सचिव इन्द्रेश मैखुरी, सपा के राष्ट्रीय सचिव डॉ एस.एन. सचान व सिविल सोसाइटी की ओर से पत्रकार और एक्टिविस्ट त्रिलोचन भट्ट, चेतना आंदोलन के शंकर गोपाल आदि शामिल थे ।