यूकॉस्ट की कार्यशाला में दी गई जल गुणवत्ता प्रयोगशालाओं में बेहतरी लाने की जानकारियां

देहरादून। उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवम प्रौद्योगिकी परिषद (यूकॉस्ट), देहरादून एव उत्तराखंड जल संस्थान, देहरादून के संयुक्त तत्वाधान में जल जीवन मिशन के अंतर्गत 26 जिला एवम उपखंडिया प्रयोगशालाओं के प्रयोगशाला केमिस्टो के लिए NABL प्रशिक्षण हेतु आयोजित 03 दिवसीय कार्यशाला का आयोजन यूकॉस्ट, देहरादून में किया गया। जिसमे सभी प्रतिभागियों को राज्य की जल गुणवत्ता प्रयोगशालाओं में बेहतरी लाने के क्रम में नई जानकारियां प्रदान की गई।
इस मौके पर डॉ डी पी उनियाल, संयुक्त निदेशक, यूकॉस्ट ने उत्तराखंड की जल गुणवत्ता की वर्तमान वास्तविक स्थिति पर अपने विचार रखे। इस मौके पर उन्होंने जल गुणवत्ता परीक्षण की नवीनतम तकनीकों का अपने व्याख्यान में उल्लेख किया। डॉ उनियाल द्वारा इस मौके पर यूकॉस्ट द्वारा जल गुणवत्ता के क्षेत्र में पूर्व में किए गए कार्यों का भी जिक्र किया गया ।
यूकॉस्ट के वैज्ञानिक अधिकारी, डॉ० मनमोहन सिंह रावत द्वारा अपने व्याख्यान में बताया गया कि जल गुणवत्ता और रिमोट सेंसिंग का एक साथ उपयोग करके, जल निकायों की जल गुणवत्ता का बेहतर निगरानी और मूल्यांकन किया जा सकता है। डॉ रावत ने कहा कि रिमोट सेंसिंग डेटा का उपयोग जल प्रदूषण का पता लगाने और निगरानी करने, जल संसाधनों के प्रबंधन की एक बेहतरीन त्तकनीक है ।
परियोजना समन्वयक डॉ प्रशांत सिंह ने कार्यशाला के दौरान सभी प्रतिभागियों से संवादात्मक सत्र में एक प्रश्न प्रारूप के ज़रिए सभी लैब के केमिस्टों को एन.ए.बी.एल. मान्यता की बारीकियों को समझाया । इस दौरान डॉ सिंह ने कहा कि जल गुणवत्ता परीक्षण और एन.ए.बी.एल. दोनों को ही प्रयोगशाला की बेहतरी के लिए आवश्यक बताया।
भारतीय गुणवत्ता परिषद, नई दिल्ली की एसोसिएट मैनेजर, अर्चना गौतम ने इस अवसर पर अपने विशेषज्ञ व्याख्यान में सूक्ष्मजैविक प्रयोगशाला की बारीकियों से सभी को अवगत कराया । इस दौरान उनके द्वारा प्रयोगशाला में सैंपल कलेक्शन, मीडिया प्रिपरेशन, परिशोधन कक्ष व सूक्ष्मजैविक प्रयोगशाला में सुरक्षा हेतु विशेष सावधानियों पर एक प्रस्तुतिकरण किया गया।
अर्चना गौतम द्वारा ISO 17025 पर भी एक विशेष व्याख्यान दिया गया ।
इसी क्रम में उत्तराखंड जल संस्थान, देहरादून के मुख्य केमिस्ट, डॉ विकास कंडारी द्वारा सभी प्रयोगशालाओं से आए केमिस्टों को NABL मान्यता की प्रकिया में जुड़े नए आयामों से अवगत कराया गया । इसी दौरान सभी प्रतिभागियो को लैब विजिट के दौरान मल्टीपल ट्यूब फर्मेंटेशन परीक्षण की विधि की विस्तृत जानकारी भी प्रदान की गई।
इस कार्यशाला में सभी केमिस्टों को NABL से जुड़े महत्वपूर्ण आयाम जैसे की uncertainity का मापन, लैब में मौजूद सभी उपकरणों का callibration व आंतरिक अंकेक्षण के बारे में विस्तृत चर्चा व प्रशिक्षण दिया गया।
इस कार्यशाला का संचालन वैज्ञानिक अधिकारी डॉ मनमोहन रावत द्वारा किया गया ।इस मौके पर अर्चित पाण्डेय, डॉ गौरव राजपूत, डॉ आशुतोष शर्मा, भावना शर्मा आदि मौजूद रहे।