स्वास्थ्य

टीबी हारेगा देश जीतेगा:  हां हम टीबी समाप्त कर सकते हैं

विश्व क्षय रोग दिवस पर गढ़वाल विश्वविद्यालय के चौरस परिसर में राष्ट्रीय संगोष्ठि

श्रीनगर गढ़वाल। विश्व क्षय रोग दिवस के अवसर पर आज  हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के सूक्ष्म्जैविकी विभाग द्वारा एक राष्ट्रीय संगोष्ठि का आयोजन चौरस परिसर स्थित मदनमोहन मालवीय नेशनल टीचर ट्रेनिंग सेंटर में किया गया। आयोजन का उद्देश्य लोगो में टीबी की रोकथाम को लेकर जागरूकता   फैलाना तथा विद्यार्थियों को टीबी रिसर्च के प्रति उत्सुकता जगाना और प्रेरित करना था। कार्यक्रम का प्रारम्भ विद्यार्थियों द्वारा निकाली गयी एक जागरूकता रैली से हुआ। सूक्ष्म्जैविकी विभाग द्वारा चौरस एवं श्रीनगर मे टीबी जागरूकता बढ़ाने के लिए दो पोस्टर भी लगाए गए।
कार्यकम के उदघाटन सत्र में मुख्य अतिथि उप-चिकित्सा अधिकारी तथा जिला टीबी अधिकारी, पौड़ी गढ़वाल डॉ रमेश कुमार कुँवर ने सभी को टीबी क लक्षण पहचान् तथा निदान के बारे में विस्तार से बताया था भारत सरकार द्वारा टीबी उन्मूलन के लिए चलायी जा रही विभिन्न योजनाओ की भी जानकारी दी, जिसमे ना-क्षय मित्र योजना अभी हाल ही मे शुरू की गयी है।
कार्यक्रम के संयोजक डॉ विनीत कुमार मौर्य ने सभी अतिथियों का स्वागत करते  हुए कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की तथा बताया की विश्व स्वास्थ्य संगठन की 2024 की रिपोर्ट के अनुसार में विश्व मे 10.8 milion लोग टीबी से प्रभावित हैं जिनमे से 8.2 milion नए केस, 1.25 प्रतिवर्ष मौते  शामिल हैं। विश्व के टीबी केस  मे से लगभग 26% भारत में हैं तथा यहाँ 2.8 milion टीबी केस हैं। उन्होने जिला टीबी अधिकारी की बातों का संदर्भ लेते हुए ही बताया की टीबी लाइलाज नहीं है तथा सरकार इस दिशा मे निरंतर प्रशासनिक एवं सामाजिक स्तर पर कार्य कर रही है परंतु हमारे विद्यार्थियों तथा शोध छात्र छात्राओ के लिए भी टीबी के नयी दवा खोजने नए जांच के तरीके खोजने के क्षेत्र मे बहुत अच्छी संभावनाएँ हैं अतः उनको टीबी पर हो रहे आद्यतन शोधों को जानना चाहिए जिसके लिए कार्यक्रम मे टीबी पर काम कर रहे वैज्ञानिको को आमंत्रित किया गया है।
सत्र की अध्यक्षता करते हुए प्रो0 ओ0 पी0 गुसाई (अधिष्ठाता छात्र कल्याण) ने बताया की किस प्रकार सामाजिक सहभागिता एवं विद्यार्थियो के सक्रिय सहयोग से हम टीबी मुक्त भारत की संकपना साकार कर सकते हैं। विश्वविद्यालय के NSS और अन्य अंग इस दिशा मे अपना सहयोग देते है तथा नयी शिक्षा पद्धति में शुरू किए गए स्व एवं सामाजिक विकास कार्यक्रम के अंतर्गत सभी छात्र-छात्राओ को इसमे जुड़कर अपना योगदान देना चाहिए।
कार्यक्रम में टीबी पर पहली मुख्य वक्ता डॉ0 हीरावती देवल ( विषाणु विशेषज्ञ, वैज्ञानिक-E, राष्ट्रीय JALMA टीबी अनुसंधान केंद्र, आगरा) ने टीबी एवं एचआईवी वाइरस के कारण टीबी के पहचान एवं निदान मे आने वाली समस्याओं के बारे मे बताया। उन्होने टीबी –एचआईवी की पहचान निदान एवं उस दिशा मे हुई वैज्ञानिक प्रगति पर विस्तार पूर्वक प्रकाश डाला।
कार्यक्रम में टीबी पर दूसरे मुख्य वक्ता डॉ0 अमित कुमार सिंह (वैज्ञानिक-D, राष्ट्रीय JALMA टीबी अनुसंधान केंद्र, आगरा) ने जूनोटिक टीबी के बारे मे सभी को बताया।  उन्होने बताया की सिर्फ मनुष्य ही नहीं बल्कि जानवर भी टीबी को फैलाने मे बहुत बड़ी भूमिका निभाते हैं और अभी भारत मे इस दिशा मे न तो उचित शोध और ना ही डाटा उपलब्ध है। परंतु इसकी भयावहता को देखते हुए इस दिशा मे गंभीर प्रयास किए जाने की  आवशयकता है।
कार्यक्रम के अगले सत्र मे तीसरे प्रमुख वक्ता दिल्ली विश्वविद्यालय के जन्तु विज्ञान विभाग के प्रो0 योगेंद्र सिंह ने एक्सट्रा पल्मोनरी टीबी (EPTB) के बारे मे सभी को बताया । साथ ही प्रो0 सिंह ने बताया की किस प्रकार टीबी बैक्टीरिया प्रचलित टीबी की दवाइयों से खुद को बचाकर drug रेसिस्टंट टीबी को जन्म देता हैं। उन्होने बैक्टीरिया को प्रतिरोधी बनाने वाली विभिन्न जैविक प्रक्रियाओं की भी जानकारी दी, तथा मानव के शरीर मे मिलने वाले अच्छे बैक्टीरिया के प्रतिरोधक क्षमता में योगदान के बारे में बताया।
कार्यक्रम में अंतरराष्ट्रीय वक्ता प्रो0 वी0 सी0 कालिया (कोंकुक विश्वविद्यालय, साउथ कोरिया) ने पर्यावरण तथा अन्य बीमारी फैलाने वाले रोगाणुओ तथा विषाणुओ पर पर चर्चा की। साथ ही पर्यावरण के साथ इसको जोड़कर बताया की किस प्रकार हम पर्यावरण को बचा सकते हैं और टीबी को दूर रख सकते हैं। उन्होने बायो-प्लास्टिक, बायो-फ्युल आदि पर्यावरण मित्र विधियों पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम मे भारतीय जीवाणुवेत्ता संगठन, गढ़वाल प्रभाग के सचिव डॉ0 राहुल कुँवर सिंह ने  प्रभाग के कार्यो तथा सूक्ष्म्जैविकी मे संगठन के बारे मे बताया। कार्यक्रम में  डॉ0 संजय के0 एस0 पटेल ने SPRERI के द्वारा विकसित किए गए उन्नत चूल्हे के मॉडल का प्रदर्शन करवाया जो कि ग्रामीण इलाको मे धुए को कम करके महिलाओं की फेफड़ों के स्वास्थ्य की रक्षा करने मे महत्व पूर्ण भूमिका अदा कर सकता है।
कार्यक्रम के अंत मे कार्यक्रम के आयोजक सचिव डॉ0 पंकज कुमार ने सभी के लिए धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत करते हुए कहा कि टीबी हारेगा देश जीतेगा तथा हम सभी मिलकर टीबी को हरा सकते हैं और टीबी मुक्त भारत बना सकते हैं।
कार्यक्रम के आयोजन मे सूक्ष्मजीविकी विभाग के शोध छात्र छात्राओं ने सक्रिय भूमिका निभाई एवं कार्यक्रम में अन्य विभागों से डॉ जे0 पी0 मेहता, डॉ बी0 एस0 भण्डारी, डॉ0 प्रभावती तिवारी, डॉ0 धनंजय कुमार, डॉ0 अनंत कुमार, डॉ0 पूजा सकलानी, डॉ0 सौरभ यादव, डॉ0 जसपाल चौहान, डॉ0 प्रशांत आर्य, डॉ0 मनीषा निगम आदि उपस्थित थे।

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