राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य सचिव से की मुलाकात
कहा- गोल्डन कार्ड योजना में पंजीकृत अस्पतालों ने बकाया भुगतान न होने के कारण चिकित्सा पर लगा दी है रोक

देहरादून। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद उत्तराखंड का कहना है कि गोल्डन कार्ड योजना में पंजीकृत चिकित्सालयों ने बकाया भुगतान न होने के कारण गोल्डन कार्ड धारकों की चिकित्सा पर रोक लगा दी है।
मंगलवार को परिषद के प्रदेश अध्यक्ष अरूण कुमार पाण्डेय और महामंत्री शक्ति प्रसाद भट्ट ने मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन से मुलाकात की। उन्होंने मुख्य सचिव को मुख्यमंत्री के नाम संबोधित एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें कहा गया कि यह योजना पूर्व में भी कुप्रबन्धन का शिकार रही, जिससे राज्य कार्मिकों को इसका उचित लाभ प्राप्त नहीं हो पाया और राज्य कार्मिकों एवं पेंशनरों कोय न्यायालय की शरण में जाने को बाध्य होना पड़ा। वहीं, वर्तमान में यह व्यवस्था सरकार की अनदेखी का शिकार हो रही है।
उन्होंने कहा कि पूर्व में अपर मुख्य सचिव कार्मिक की अध्यक्षता में हुई बैठक में परिषद ने यह मांग रखी थी कि हांलाकि राज्य के समस्त कार्मिकों की चिकित्सा प्रतिपूर्ति का दायित्व राज्य सरकार का है फिर भी कैश लैश चिकित्सा सुविधा प्राप्त करने हेतु कार्मिकों ने उक्त योजनान्तर्गत अपना अंशदान देने की सहमति प्रदान की। योजनां में सम्मिलित कार्मिक अपने वेतन/पेंशन के आधार पर प्रतिमाह अपना अंशदान जमा भी कर रहे हैं। किन्तु योजनान्तर्गत कार्मिकों की चिकित्सा प्रतिपूर्ति एव चिकित्सालयों के व्यय का भुगतान मात्र कार्मिकों के अंशदान से जमा धनराशि में से ही किया जा रहा है। जबकि, सरकार को कार्मिकों के अंशदान के अतिरिक्त चिकित्सा प्रतिपूर्ति पर आने वाले अतिरिक्त व्यय को वहन करना चाहिए जिस पर तत्समय के अपर मुख्य सचिव व वर्तमान में मुख्य सचिव उत्तराखण्ड शासन द्वारा अपनीं सैद्धान्तिक सहमति भी व्यक्त की गई थी। किन्तु परिषद के संज्ञान में यह आया है. कि उत्तराखण्ड सरकार द्वारा वर्ष 2025-26 के बजट में इस हेतु कोई धनराशि नहीं रखी गई है, जो कि घोर आपत्तिजनक है। इस कारण कार्मिकों के उपचार में हुए व्यय के देयकों का भुगतान न होने के कारण देश प्रदेश के बड़े अस्पतालों मेदांता अस्पताल गुरुग्राम, महंत इंदिरेश देहरादून, हिमालयन अस्पताल जौलीग्रांट सहित कई अन्य अस्पतालों ने गोल्डन कार्ड योजना से हाथ खींचा जा रहा है। परिषद द्वारा पूर्व में चेताने के उपरांत भी सरकार द्वारा स्थिति को बिस्फोटक होने दिया जाना आश्चर्यजनक एवं दुर्भाग्यपूर्ण है। परिषद द्वारा माननीय मुख्यमंत्री एवं मुख्य सचिव महोदय से इस प्रकरण में तत्काल दखल देते हुए इसमें सकारात्मक सुधार की मांग की है ।
परिषद ने मुख्य सचिव से मांग की कि एलटीसी का शासनादेश यथाशीघ्र जारी किया जाए ताकि राज्य के सेवानिवृत्त हो रहे कार्मिकों को भी इसका लाभ प्राप्त हो पाए। इसके अतिरिक्त परिषद द्वारा यात्रा भत्ता के शासनादेश में सुधार सहित वाहन भत्ता में संशोधन किए जाने का प्रस्ताव भी यथाशीघ्र राज्य मंत्रिमंडल के समक्ष लाने की भी मांग की।