सचिव ने जिलाधिकारियों से जाना जिलों में विद्यालयी शिक्षा का हाल
सचिव विद्यालयी शिक्षा रविनाथ रमन ने जिलाधिकारियों के साथ की वर्चुअल बैठक में
देहरादून। विद्यालयी शिक्षा से संबंधित विभिन्न कार्यों एवं गतिविधियों के क्रियान्वयन की समीक्षा के लिए आज सचिव, विद्यालयी शिक्षा रविनाथ रामन की अध्यक्षता में जिलाधिकारियों के साथ वर्चुअल बैठक की गई, जिसमें मुख्य शिक्षा अधिकारी, जिला शिक्षा अधिकारियों द्वारा भी प्रतिभाग किया गया। राज्यस्तर से बैठक में महानिदेशक, विद्यालयी शिक्षा झरना कमठान, अपर सचिव मदन मोहन सेमवाल, निदेशक माध्यमिक शिक्षा लीलाधर व्यास, निदेशक प्रारम्भिक शिक्षा रामकृष्ण उनियाल, अपर निदेशक माध्यमिक शिक्षा डॉ० मुकुल कुमार सती, अपर निदेशक प्रारम्भिक शिक्षा रघुनाथ लाल आर्य द्वारा प्रतिभाग किया गया।
बैठक के प्रारम्भ में प्रस्तुतीकरण के माध्यम से जिलाधिकारियों के साथ क्लस्टर विद्यालय, क्लस्टर विद्यालयों में आने वाले दूर-दराज के छात्र-छात्राओं को परिवहन सुविधा प्रदान किये जाने, सी एवं डी श्रेणी के विद्यालयों में भवन निर्माण/वृहद मरम्मत से सम्बन्धित डी०पी०आर० तैयार किये जाने की स्थिति, प्रारम्भिक एवं माध्यमिक विद्यालयों की भूमि रजिस्ट्री सम्बन्धी समस्या एवं उसके निराकरण, विद्यालयों में शौचालय, पेयजल, विद्युतीकरण, फर्नीचर आदि मूलभूत सुविधाओं की शत-प्रतिशत उपलब्धता इसी वित्तीय वर्ष में किये जाने, छात्र-छात्राओं को दिये जाने वाले लाभ, जीर्ण-शीर्ण विद्यालयों के भवनों के निष्प्रयोज्य प्रमाण-पत्रों की प्रक्रिया का सरलीकरण, विद्यालयों में सी.एस.आर. फण्ड से डीजिटल लर्निंग संसाधन उपलब्ध कराना आदि पर जनपदों से फीडबैक लिया गया।
सचिव विद्यालयी शिक्षा द्वारा पौडी और अल्मोड़ा के जिलाधिकारियों से क्लस्टर विद्यालयों की अद्यतन प्रगति पूछी गयी तथा अपेक्षा की गयी कि कार्यों को वरीयता देते हुये प्रारम्भ कराया जाये। सचिव रविनाथ रमन ने कहा कि क्लस्टर विद्यालय राज्य की महत्वाकांक्षी योजना है तथा इसका लाभ दूर-दराज के बच्चों को मिल सके। इसके लिये जिलाधिकारी इन बच्चों के विद्यालय पहुँचने एवं वापस घर जाने के लिए स्थानीय स्तर पर परिवहन सुविधा दिये जाने की समीक्षा कर लें। यदि सम्भव न हो तो ऐसे बच्चों को 110 रुपए प्रतिदिन की अधिकतम सीमा तक धनराशि दी जा सकती है। इस व्यवस्था के वास्तविक रूप में लागू किये जाने के लिए भौगोलिक परिस्थितियों का संज्ञान लिया जाना आवश्यक है। राज्य स्तर पर अद्यतन 4 से 5 जनपदों से प्रस्ताव उपलब्ध कराये गये हैं, शेष जनपद समीक्षा कर शीघ्र मानकानुसार प्रस्ताव उपलब्ध करायें।
मुख्य विकास अधिकारी रुद्रप्रयाग द्वारा पहाड़ों में कुछ स्थानों पर सड़क न होने तथा केवल जंगल एवं पैदल मार्ग होने की समस्या से अवगत कराया गया तथा इस संदर्भ में सभी जनपदों से अपेक्षा की गयी कि वे विशेष परिस्थितियों में 5 किमी से कम दूरी पर क्लस्टर विद्यालय बनाने का प्रस्ताव उपलब्ध करायें।
डी एवं सी श्रेणी के विद्यालयों की समीक्षा करते हुये सचिव, विद्यालयी शिक्षा द्वारा निर्देश दिये गये कि आगणन व्यावहारिक एवं पारदर्शी ढंग से बनाये जायें, इसके लिए 22 बिन्दुओं का प्रारूप तैयार किया गया है। सभी जनपद तद्नुसार मुख्य विकास अधिकारी, जिलाधिकारी के माध्यम से शासन को उपलब्ध करायें। जिलाधिकारी जनपद स्तर पर शिक्षा विभाग की समय-समय पर समीक्षा करें तथा इसके लिए पूर्व में ही समय निर्धारित कर लिया जाये।
सचिव, विद्यालयी शिक्षा द्वारा जिलाधिकारियों को यह भी जानकारी दी गयी कि आपदा प्रबन्धन मद में धनराशि विद्यालयों के लिये बढ़ा दी गयी है तथा इसमें प्राथमिक स्तर हेतु 15लाख तथा माध्यमिक स्तर हेतु 25 लाख रुपए किया गया है। यदि जीर्ण-शीर्ण एवं क्षतिग्रस्त भवनों को अधिक धनराशि की आवश्यकता हो तो 50 प्रतिशत तक आपदा से तथा शेष 50 प्रतिशत विभागीय स्तर से धनराशि वहन की जा सकती है।
जिलाधिकारी उत्तरकाशी द्वारा जानकारी दी गयी कि जनपद में आपदा से क्षतिग्रस्त 81 प्राथमिक एवं 80 माध्यमिक विद्यालय चिह्नित हैं जिसके लिए 8.5 करोड़ रुपए का आगणन तैयार किया गया है। भूमिहीन विद्यालयों के सम्बन्ध में जिलाधिकारियों से अपेक्षा की गयी कि विद्यालय कई वर्षों से सम्बन्धित भूमि पर संचालित है इसलिए भूमि के विद्यालय के नाम किये जाने में कोई कठिनाई नहीं होनी चाहिए। विद्यालयों की भूमि मुख्यतः दान नामा के माध्यम से दी गयी है। इस समस्या के समाधान के लिए लेखपाल ध् पटवारी, तहसीलदार आदि से परीक्षण करवाते हुये 2-3 माह में सघन अभियान चलाते हुये म्यूटेशन की कार्यवाही कर ली जाये।
जिलाधिकारी रूद्रप्रयाग द्वारा अवगत कराया कि प्राथमिक एवं माध्यमिक स्तर के लगभग 300 विद्यालयों के रजिस्ट्री सम्बन्धी प्रकरणों का निस्तारण कर लिया गया है। मुख्य विकास अधिकारी पिथौरागढ़ द्वारा सुझाव दिया गया कि खण्ड शिक्षा अधिकारियों से विद्यालय संचालन सम्बन्धी प्रमाण-पत्र प्राप्त कर यदि विद्यालय 12 वर्ष से अधिक समयावधि से लगातार चल रहा है तो नियमानुसार भूमि विद्यालय के नाम की जा सकती है। सचिव द्वारा समस्त जिलाधिकारियों को माध्यमिक स्तर पर शत् प्रतिशत विद्यालयों में शौचालयों व्यवस्था किये जाने पर बधाई दी गयी। सचिव, विद्यालयी शिक्षा द्वारा विद्यालयों में उपलब्ध कराये गये डीजिटल लर्निंग संसाधनों के उपयोग की भी समीक्षा किये जाने के निर्देश दिये गये।
विद्यालयों के कोटिकरण पर भी चर्चा की गयी तथा जनपदों को निर्देश दिये गये कि 2018 में किये गये कोटिकरण के बाद परिस्थितियाँ बदली हैं इसलिए इसकी समीक्षा किये जाने की आवश्यकता है। जनपद स्तर पर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में समिति गठित की गयी है इसलिए अगले स्थानान्तरण सत्र से पूर्व कोटिकरण के पुनर्निर्धारण किये जाने हेतु कार्यवाही कर ली जाये।