उत्तराखंडदेहरादून

दून विश्वविद्यालय में 28 नवम्बर से उत्तराखंड राज्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी सम्मेलन

'उत्तराखंड के संदर्भ में जल और प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन' होगी सम्मेलन की थीम

देहरादून। उत्तराखंड राज्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिषद (यूकॉस्ट) द्वारा दून विश्वविद्यालय, देहरादून के साथ मिलकर 19वीं राज्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी सम्मेलन का आयोजन 28 से 30 नवंबर, 2024 तक दून विश्वविद्यालय, देहरादून में करने जा रहा है। इस वर्ष राज्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी सम्मेलन की थीम “उत्तराखंड के संदर्भ में जल और प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन” है, जो हिमालयी क्षेत्र की चुनौतियों का समाधान करने के लिए स्थायी संसाधन प्रबंधन और वैज्ञानिक प्रगति के एकीकरण पर केंद्रित है। कार्यक्रम का उद्घाटन राज्यपाल ले.ज. (से.नि.) गुरमीत सिंह और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की गरिमामयी उपस्थिति में होगा।

उत्तराखंड राज्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिषद द्वारा आयोजित यह उत्तराखंड राज्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी सम्मेलन एक वार्षिक कार्यक्रम है, जो वैज्ञानिक समुदाय, शोधकर्ताओं, शिक्षाविदों और छात्र – छात्राओं को एक मंच प्रदान करता है। इस सम्मलेन में विभिन्न वैज्ञानिक विषयों पर चर्चा, व्याख्यान और विचार-मंथन सत्रों के द्वारा प्रतिभागियों को एक साझा और सशक्त मंच प्रदान किया जाता है। इस कार्यक्रम में उत्तराखंड के प्रतिभाशाली युवा वैज्ञानिकों को अपने शोध कार्य प्रदर्शित करने और राज्य में विज्ञान, प्रौद्योगिकी, अनुसंधान और शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान हेतु प्रोत्साहन मिलता है।

19वें उत्तराखंड राज्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी सम्मेलन का मुख्य आकर्षण उद्घाटन सत्र, प्रदर्शनी जहां ग्रामीण व्यक्ति, उद्यमी, गैर सरकारी संगठन, एसएचजी, शैक्षणिक संस्थान और सरकारी एजेंसियां, अन्य लोग अपना सर्वश्रेष्ठ काम प्रदर्शित करेंगे, का उद्घाटन तथा विभिन्न वैज्ञानिक विषयों पर चर्चा सत्र होंगे ।

सिल्क्यारा की घटना और उसकी सफलता को समर्पित सिलक्यांरा विजय अभियान कार्यक्रम जो कि हिमालय क्षेत्र की अद्वितीय चुनौतियों से निपटने में नवाचार, दृढ़ता और समुदाय-संचालित प्रयासों की सफलता का प्रतीक है। यह विशेष सत्र पिछले वर्ष में हासिल सिल्क्यारा की घटना की सफलता, उसके परिवर्तनकारी प्रभाव और उत्तराखंड में सतत विकास में इसके योगदान पर विचार करेगा।
परिषद ने उत्तराखंड राज्य में स्थित विभिन्न अनुसंधान एवं विकास अनुसंधान संस्थानों, विश्वविद्यालयों, कॉलेजों और किसी भी मान्यता प्राप्त, निजी या स्वायत्त विज्ञान और प्रौद्योगिकी संगठनों में अध्ययनरत/कार्यरत अनुसंधान अध्येताओं और शोधकर्ताओं से विभिन्न विषयों जैसे कृषि, जैव प्रौद्योगिकी, रसायन विज्ञान चिकित्सा विज्ञान, वनस्पति विज्ञान, गृह विज्ञान, भूविज्ञान, गणित, इंजीनियरिंग, भौतिकी, ग्रामीण विज्ञान, इंजीनियरिंग, जीव विज्ञान आदि से संबंधित मूल शोध कार्यों, प्रयोगों और सफलता की कहानियों के सार आमंत्रित किए हैं। जिसकी पुस्तिका का विमोचन भी इस कार्यक्रम में किया जायेगा।

यूकॉस्ट उत्तराखंड में वैज्ञानिक अनुसंधान, सहयोग और नवाचार को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। राज्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी सम्मेलन, एक प्रमुख पहल है, जो वैज्ञानिक समुदाय को चर्चाओं केस माध्यम से ज्ञान के आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करने पर केंद्रित है।

कार्यक्रम में 7 चर्चा -विचार मंथन सत्र होंगे

हिमालय में जल सुरक्षा, जल संसाधन प्रबंधन का विज्ञान – यह सत्र उत्तराखंड और अन्य हिमालयी राज्यों में जल प्रबंधन सम्बंधित विषयों पर वैज्ञानिक चर्चा, प्रगति और नीति -रणनीतियों पर ध्यान केंद्रित करेगा, जिसमें जल श्रोतों का स्थायी प्रबंधन और उपयोग, भूजल पुनर्भरण, प्रदूषण नियंत्रण और सामुदायिक भागीदारी पर जोर दिया जाएगा।

1. हिमालय क्षेत्र में आकस्मिक बाढ़ और हिमनद झील विस्फोट सहित जल-संबंधित आपदाओं का शमन – इस सत्र में हिमालय में आपदा न्यूनीकरण, वैज्ञानिक प्रबंधन और निर्माण, एकीकृत जल प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करते हुए बाढ़ और हिमनद झील विस्फोट, बाढ़ के बढ़ते खतरे आदि विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की जाएगी।
2. भावनात्मक लचीलेपन का निर्माण: – यह सत्र भावनात्मक अनुकूलनशीलता के विज्ञान पर चर्चा करेगा, मस्तिष्क और शरीर पर तनाव के प्रभाव की खोज करेगा, जबकि प्रतिभागियों को भावनात्मक अवरोधों को दूर करने, वैचारिक स्पष्टता बढ़ाने और मानसिक और भावनात्मक कल्याण को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करेगा।
3. भारतीय ज्ञान परंपरा, संस्कृत और विज्ञान – गणित, खगोल विज्ञान, चिकित्सा और पर्यावरण विज्ञान जैसे विषयों और आधुनिक विज्ञान और मानव कल्याण के लिए उनकी प्रासंगिकता के महत्त्व, संस्कृत साहित्य में अंतर्निहित गहन वैज्ञानिक अंतर्दृष्टि और कालातीत ज्ञान की खोज आदि विभिन्न विषयों पर चर्चा की जाएगी ।
4. राज्य में वनाग्नि और मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने हेतु समुदाय-आधारित वन संसाधन प्रबंधन- इस सत्र के माध्यम से वनो में आग लगना और मानव-वन्यजीव संघर्ष से निपटने के लिए स्थायी समाधान तथा वन प्रशासन, स्थानीय समुदाय की भूमिकाओं और रणनीतियों पर ध्यान केंद्रित किया जायेगा।
5. हिमालय क्षेत्र में विज्ञान संचार का महत्व – इस सत्र में संचार साधन, पारंपरिक और वैज्ञानिक ज्ञान के मिश्रण, मीडिया को सशक्त बनाने और जलवायु चुनौतियों से निपटने के लिए समाधान सम्बंधित रिपोर्टिंग को बढ़ावा देने के माध्यम से विज्ञान और समाज के बीच अंतर को कम करने सम्बंधित चर्चा की जाएगी।
6. रक्षा के क्षेत्र में कृत्रिम बुद्धिमत्ता और आधुनिक युद्ध नीति विषयक चर्चा सत्र- इस सत्र में साइबर सुरक्षा, भारत की रक्षा के क्षेत्र के स्वदेशी नवाचार,कृत्रिम बुद्धिमत्ता, आधुनिक युद्ध नीति, विभिन्न स्वायत्त प्रणालियाँ और उद्योग-अकादमिक सहयोग आदि पर चर्चा और समाधान पर बात की जाएगी।

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