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- उत्तराखंड की लोक भाषा संस्कृति कलाकारों के लिए रैबार जैसे कार्यक्रम से उत्तराखंड के कलाकारों को दिलाई थी देश-दुनिया में पहचान
- उत्तराखंड की जिया साहित्य ने आयोजित किया राष्ट्रीय कवि सम्मेलन और सम्मान समारोह का आयोजन
देहरादून। हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी विगत दिनों उत्तराखंड़ की जिया साहित्य कुटुम्ब द्वारा एक राष्ट्रीय कवि सम्मेलन का आयोजन स्पर्श हिमालयी यूनिर्वसिटी में किया गया। कार्यक्रम दो पालियो में आयोजित किया गया है। प्रथम पाली में मुख्य अतिथि प्रोपेसर डॉ.राजूल दत्त, विशिष्ट अतिथि चेतन गोड ने कार्यक्रम में शिरकत की वहीं दूसरी पाली में कार्यक्रम के बतौर मुख्य अतिथि डोईवाला नगर पंचायत के अध्यक्ष नरेंद्र सिंह नेगी नंदू भाई ने कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।
कार्यक्रम में देश के अलग-अलग कौने से आए कवि-कवित्रियों ने अपनी रचनाओं से जोश भरने का कार्य किया। कार्यक्रम में उत्तराखंड की जिया साहित्य समिति के संरक्षक एस एस हिंदवाल, महामंत्री विजेंद्र सिंह नेगी देहरादून, राष्ट्रीय प्रचारक महेंद्र भट्ट(ग्वालियर),राष्ट्रीय मीडिया प्रचारक राजेंद्र सिंह रावत,कामेश्वर कुमार झारखंड से गाजियाबाद से दाउ रंजीत शर्मा, इलाहबाद से विनय कुमार, एनसी खंड़ेलवाल, हास्य कवि देहरादून से दिनेश भटट, अंजना नैना कंडवाल, रूड़की से डॉ अनीता गोस्वामी, रेखा चतुर्वेदी, संगीता बहुगुणा, पंडित पुष्पराज गढ़ ,देहरादून से युवा कवि पत्रकार दीपक कैन्तुरा समेत तमाम कवि-कवित्रियों ने अपना काव्य पाठ किया।
इस हिंदी कवि सम्मेलन में युवा कवि दीपक कैंतुरा ने मोबाईल पर गढ़वाली कविता सुनाकर मंच में समा बांध दिया। आपको बता दें की युवा कवि दीपक कैंतुरा की इस कविता को पांच लाख से अधिक लोगों ने सोशल मीडिया पर देख लिया ये कविता लोगों को बहुत पसंद आ रही है। युवा कवि दीपक कैन्तुरा अपनी कविताओं के माध्यम से अपनी कविताओं पर समाज में फैल रही कुरीतियों,पर्यावरण,भू-कानून,के अलावा सरकार को भी समय समय पर जगाते रहते हैं। दीपक कैंतुरा का काव्य संग्रह उत्तराखंड के आंसू का तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने विमोचन किया था।
बता दें कि दीपक कैन्तुरा का रैबार कार्यक्रम ने लोकभाषा को विश्व पटल पर नई पहचान मिली। दीपक कैन्तुरा लगातार दस वर्षों से अधिक आकाशवाणी, दूरदर्शन, राष्ट्रीय मंचों पर अपनी कविताओं की प्रस्तुति दे चुके हैं। वर्तमान में दीपक कैन्तुरा नेटवर्क 10 न्यूज़ चैनल उत्तराखंड में सह संपादक हैं और साथ में अपनी बोली भाषा संस्कृति के प्रचार प्रसार के लिए रैबार पहाड़ का पेज भी चलाते हैं। दीपक कैन्तुरा ने इस सम्मान के लिए संस्था की संस्थापिका जिया हिंदवाल का आभार जताया है।