उत्तराखंडपौड़ी

हिमालय क्षेत्र फूलों की खेती के लिए बड़ा उद्यम

- हैप्रेक में दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का शुभारंभ

श्रीनगर। हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विवि के उच्च शिखरीय पादप कार्यिकी शोध केंद्र (हैप्रेक) में हिमालय बायो रिसोर्स मिशन, जैव प्रौद्योगिकी विभाग(डीबीटी) भारत सरकार और जीवंती वेलफेयर एंड चैरिटेबल ट्रस्ट, डाबर इंडिया लिमिटेड, साहिबाबाद, उत्तरप्रदेश द्वारा प्रयोजित एवं हैप्रेक संस्थान द्वारा आयोजित बहुविषयक दृष्टिकोण के माध्यम से उच्च क्षेत्रीय पादपों, जलवायु परिवर्तन, औषधीय पादप का कृषिकरण, स्थायी आजीविका तथा पर्वतीय पारिस्थितिकी तंत्र के लचीलेन की विवेचना पर आधारित दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का शुभारंभ हुआ।

इस मौके पर विशेषय विशेषज्ञ ने किसानों को स्वरोजगार से जोडने वाले विभिन्न औषधीय पादपों के बारे में जानकारी दी। साथ ही 17 प्रगतिशील किसानों के साथ ही 5 जडी-बूटी की खेती का विभिन्न माध्यमों से प्रचार प्रसार करने वालों प्रतिष्ठित व्यक्तियां को सम्मानित किया गया।

सोमवार को हैप्रेक संस्थान के केके नन्दा मैमोरियल हॉल में आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में ऑनलाइन माध्यम से जुडे हैप्रेक संस्थान के संस्थापक प्रो. एएन पुरोहित ने संस्थान के ओर से किए जा रहें कार्यां की सरहाना की। इस अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि एएसआरबी के चैयरमैन एवं सीएसआईआरएचबीटी पालमपुर के पूर्व निदेशक डा. संजय कुमार ने औषधीय पादपों के विभिन्न पहलू पर चर्चा की। कहा कि हिमालय क्षेत्र फूलों की खेती के लिए बड़ा उद्यम है। किसान छोटी से जगह में फूलों की खेती कर अच्छी आय अर्जित कर सकते है। लिलियम की व्यावसायिक खेती कर उत्तराखंड के किसान आर्थिक रूप से आत्म निर्भर बन सकते है। कहा कि लिलियम फूल के बल्ब के लिए भारत अब अन्य देशों पर निर्भर नहीं है, किसान स्वयं की लिलियम की खेती कर अपना स्वरोजगार कर रहें है। कहा कि किसान छोटी से जगह पर ही हिंग, केसर, दालचीनी, मुलेठी को उगाकर हिमालय क्षेत्र के गांवों इंटरप्रेन्योरशिप (उद्यमिता) मॉडल बन सकते है। उन्होने कहा कि किसान कृषि की नई तकनीकी हाइड्रोपोनिक्स और एरोपोनिक्स के जरिए अपनी इच्छी आय कमा सकते है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुई गढ़वाल विवि की कुलपति प्रो. अन्नपूर्णा नौटियाल ने कहा कि हैप्रेक संस्थान अनुसंधान का प्रमुख केंद्र बनाता रहा है। उन्होने हैप्रेक के शोधार्थियों और छात्र-छात्राओं से उम्मीद जताते हुए संस्थान का नाम राष्ट्रीय एंव अंतराष्ट्रीय स्तर रोशन करेंगे। कार्यक्रम में मैती संस्था के संस्थापक सचिव पदमश्री कल्याण सिंह रावत ने बुग्यालों की स्थिति पर चिंता व्यक्त की। उन्होने कहा कि युवा लोगों की समीतियां बनाकर बुग्यालों के संरक्षण के लिए सबकों मिल कर कार्य करना आवश्यक है। ग्रामीण एवं प्रौद्योगिकी विभाग के प्रो. आरएस नेगी ने मशुरूम की खेती के बारे में बुनियादी जानकारी दी। कहा कि किसान मशरूम की खेती और मशरूम से बने उत्पादों का बाजारीकरण का अच्छी आय कमा सकते है।

कार्यक्रम में हैप्रेक संस्थान के निदेशक प्रो. एमसी नौटियाल ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन डा. बबिता पाटनी और आयोजन सचिव डा. विजयलक्ष्मी ने किया। कार्यक्रम में हैप्रेक संस्थान की स्मारिका के साथ ही प्रो. एमसी नौटियाल और डा. अंकित रावत द्वारा लिखित हैप्रेक अल्पाइन गार्डन एट आ ग्लांस पुस्तक का विमोचन किया गया। इस मौके पर भरसार विश्वविद्यालय से प्रो. बीपी नौटियाल, कृषि संकाय के संकायध्यक्ष प्रो. एके नेगी, प्रो. आरसी सुन्दरियाल, प्रो. आरके मैखुरी, हैप्रेक संस्थान के एसोसिएट प्रोफेसर डा. विजयकांत पुरोहित, डा. लक्ष्मण सिंह कंडारी, डा. पूजा सकलानी, डा. वैशाली चंदोली सहित आदि मौजूद थे।

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