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राज्य पाठ्यचर्या की रूपरेखा का दस्तावेज तैयार करने वाला पहला राज्य बना उत्तराखंड

शिक्षा मंत्री ने किया लोकार्पण, बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए दस्तावेज अत्यंत महत्वपूर्णः तिवारी

देहरादून। शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने आज राज्य पाठ्यचर्या की रूपरेखा (scfecce)  के लिए अधिदेश दस्तावेज का लोकार्पण किया। शिक्षा मंत्री ने कहा कि इस दस्तावेज को तैयार कर लोकार्पित करने में उत्तराखंड राज्य देशभर में प्रथम स्थान पर रहा है। इसके अलावा बाल वाटिका प्रारंभ करने में भी उत्तराखंड ने अपना स्थान बनाये रखा है।

शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत ने कहा कि बच्चों का 85 प्रतिशत विकास 6 वर्ष की आयु तक हो जाता है, इसलिए बुनियादी शिक्षा को गुणवत्तापूर्ण होना अति आवश्यक है। यद्यपि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के पूर्ण क्रियान्वयना में कुछ समय लगेगा, लेकिन यह आवश्यक है कि सभी आंगनबाड़ियों को विद्यालयों से जोड़ दिया जाए।

शिक्षा मंत्री ने डाइट प्रतिनिधियों को निर्देश दिए कि प्रत्येक जनपद में हमारी विरासत पुस्तक डाइट के माध्यम से प्रकाशित की जानी है। इसके लिए समाज के लोगों से सहयोग लिया जाए। साहित्यकारों को बुलाया जाए, बच्चों से भी संवाद किया जाए, महिला मंगल दल और अभिभावकों को बुलाकर उनके विचार लिए जाए और तब क्षेत्र विशेष पर आधारित यह दस्तावेज जनपद द्वारा निर्मित किया जाए।

महानिदेशक विद्यालय शिक्षा बंशीधर तिवारी ने राज्य पाठ्यचर्या की रूपरेखा दस्तावेज के मुख्य बिंदुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 हमें दिशा देती है कि शिक्षा में संस्कार कैसे समाहित किए जाएं। बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए यह दस्तावेज अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण बन्दना गर्ब्याल ने बुनियादी स्तर हेतु राज्य पाठ्यचर्या की रूपरेखा के मुख्य बिंदुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने एससीएफएफएस निर्माण की पूरी प्रक्रिया को विस्तार पूर्वक बताया।

निदेशक माध्यमिक शिक्षा सीमा जौनसारी ने कहा कि इस दस्तावेज के निर्माण में 8 महीने की कड़ी मेहनत है और यह दस्तावेज बॉटम टू अप अप्रोच के आधार पर बना है। यह महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग, स्वास्थ्य विभाग तथा शिक्षा विभाग का एक संयुक्त प्रयास है। उन्होंने सभी का आभार प्रकट किया। निदेशक प्रारंभिक शिक्षा रामकृष्ण उनियाल ने भारतीय संस्कृति के मूल्य तत्व धर्म, अर्थ, काम, और मोक्ष पर विशेष प्रकाश डालते हुए कहा कि बच्चे की शिक्षा में इनका बहुत अधिक महत्व है और एससीएफएफएस बच्चों के संपूर्ण विकास में सहायक सिद्ध होगा।

कार्यक्रम समन्वयक रविदर्शन तोपाल ने विद्यालयी शिक्षा हेतु राज्य पाठ्यचर्या की रूपरेखा का विजन और इसके पांच महत्वपूर्ण भागों पर प्रकाश डाला गया। गेस्ट स्पीकर के रूप में फिलासफी ऑफ एजूकेशन पर मुख्य शिक्षा अधिकारी देहरादून तथा भारतीय ज्ञान पद्धति पर डॉ. कृष्ण झरे ने अपने व्याख्यान प्रस्तुत किये।

कार्यक्रम में अपर निदेशक एससीईआरटीए अजय कुमार नौडियाल, अपर निदेशक माध्यमिक शिक्षा महावीर सिंह बिष्ट, अपर निदेशक महानिदेशालय ललित मोहन चमोला, अपर निदेशक प्रारंभिक शिक्षा शिव प्रसाद खाली सहित शिक्षा विभाग के सभी अधिकारी उपस्थित रहे। इसके अतिरिक्त महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग से मोहित चैधरी, विभिन्न संस्थाओं से आए प्रधानाचार्य, प्रवक्ता अध्यापक, एनजीओ के सदस्य आदि भी मौजूद थे। कार्यक्रम के समापन सत्र में संयुक्त निदेशक एनसीईआरटी कंचन देवरानी द्वारा सभी आगंतुकों प्रतिभागियों का धन्यवाद ज्ञापन किया।

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